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मेरी खोई हुई ज़बान

Today is International Mother Language Day and our blog is turning multilingual today. We are hosting a series of blog posts by different authors, illustrators, parents, educators and children – sharing their thoughts on languages and more. International Mother Language Day is an observance held annually on 21 February worldwide to promote awareness of linguistic and cultural diversity and multilingualism. 2015 is the 15th anniversary of International Mother Language Day.

This post was sent in by Samina Mishra. Samina is a documentary filmmaker, writer and teacher based in New Delhi, with a special interest in media for children.
उर्दू मेरी खोई हुई ज़बान हैI बचपन में हमें एक मौलवी साहब उर्दू पढ़ाने आते थे क्योंकि स्कूल में हम बच्चे उर्दू नहीं पढ़ते थेI रोज़ मौलवी साहब ठीक उस वक़्त पहुँचते जब और बच्चे होमवर्क करके खेलने निकलते थेI लंगड़ी-टाँग और पकड़न-पकड़ाई छोड़ कर, अलिफ़ बे पे में मन लगाना बहुत मुश्किल होता थाI नानी के साथ बहुत लड़ाई होती थी कि यह पढ़ाई रोक दीजिए, इसका क्या फ़ायदा? कुछ साल तो उन्होंने ज़बरदस्ती की लेकिन आख़िर को, इस खींचा-तानी में उर्दू का साथ छूट गयाI 
उर्दू पढ़ने की ख़्वाहिश बहुत बाद में आई और तब लगा कि काश उस वक़्त लंगड़ी-टाँग के साथ-साथ, यह भी कर लिया होताI लेकिन लंगड़ी टाँग भी तो ज़रूरी थीI क्या कुछ और रास्ता नहीं था? इस सवाल का जवाब मेरे पास अब भी नहीं हैI मेरा बेटा अब 13 साल का है और हर साल हम बात करते हैं कि उर्दू सीखेंगे लेकिन रोज़मर्रा की मश्गूलियत में इसका नंबर आता ही नहीं! मेरी तलाश जारी है और जब मौक़ा मिलता है तो इस खोई हुई ज़बान के कुछ छोटे टुकड़े मैं बटोरती रहती हूँI शायद मेरी ज़िंदगी में यह जुड़ कर एक पूरी तस्वीर बन जाएI
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