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कहानियों में पर्यावरण

by Sandhya Tiwari

हम सभी जानते हैं कि बच्चों का मिट्टी, वृक्ष, जानवर, बारिश से स्वाभाविक लगाव होता है। बचपन में ही जब उन्हें पर्यावरण से सम्बंधित बाल पुस्तकें पढ़ने के लिए मिल जाती है तो वह अपने पर्यावरण के प्रति और अधिक सजग हो जाते हैं।  पर्यावरण से सम्बंधित बाल पुस्तकों की बात करें तो परिमाण, संख्या और विषय-वस्तु तीनों ही दृष्टियों से इनकी संख्या अच्छी है। पर्यावरण से सम्बंधित कहानियों को दो रूपों में देख सकते हैं। पहला विज्ञान से सम्बंधित पर्यावरणीय कहानियाँ और दूसरा पर्यावरण की मनोरंजन प्रधान, काल्पनिक कहानियाँ। प्रथम बुक्स के पास इन दोनों ही प्रकार की कहानियाँ हैं।

पहले प्रकार की कहानियों में, निर्मित हांडा की बाग की सैर  एक ऐसी कहानी है जो पाठकों को सरल और रचनात्मक ढंग से भारत में पाए जानेवाले अनार, कटहल, पपीता, केला, जामुन, अमरूद, नारियल, बेर, संतरा, चीकू, इमली और आम जैसे महत्त्वपूर्ण फलों के वृक्षों के इतिहास, महत्त्व तथा उनको कैसे उगाया जाता है के विषय में बताते हैं। मूल रूप से अंग्रेजी में ए वॉक एमोंग द ट्रीज़शीर्षक से लिखित प्रस्तुत कहानी का अनुवाद मधुबाला जोशी ने किया है।

हमारे पर्यावरण में जल, थल और आकाश सबकी सुरक्षा और खूबसूरती का अपना महत्त्व है। जितनी ख़ूबसूरती और समृद्धि ज़मीन पर है उतनी ही आकाश और पाताल में भी है। राजीव आइप द्वारा लिखित एवं चित्रांकित कहानी डाइवसमुद्र के अंदर रहने वाले जीवों  से हमारा परिचय कराती है प्रवाल, प्लैंक्टन, पैरट फ़िश, सी अनैमॉनी के आस-पास रहने वाली क्लाउन फ़िश, क्लीनर रास, रीफ़ ऑक्टोपस, घोस्ट पाइपफ़िश, व्हाइटटिप रीफ़ शार्क, हॉक्सबिल टर्टल, मैंटा रे, ड्यूगॉन्ग आदि विभिन्न प्रकार के मत्स्य जीवों से हमें रूबरू कराते हैं मूल अंग्रेजी में लिखित इस कहानी का हिंदी अनुवाद गहरे समुद्र के अंदर शीर्षक से ऋषी माथुर ने किया है। इसी प्रकार श्रेया यादव की कहानी जिस रात चाँद ग़ायब हो गया विभिन्न रंगों के प्रकाश छोड़ने वाले जलीय जंतुओं से हमारा परिचय कराती है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद पूजा ओमवीर रावत ने किया है। 

Illustration by Sunaina Coelho

ये कहानियाँ न सिर्फ़ हमारा परिचय हमारे आस-पास के वातावरण से कराती हैं बल्कि हमें अपने वातावरण, पर्यावरण के प्रति सजग भी बनाती है इस दृष्टि से के. एस. नागराजन द्वारा लिखित ग्रैंडफादर गोज़ ऑन स्ट्राइकउल्लेखनीय कहानी है जिसका हिंदी अनुवाद दादाजी की हड़ताल शीर्षक से मधुबाला जोशी ने किया है। प्रस्तुत कहानी में अपने प्यारे वृक्ष को कटने से बचाने के लिए दादाजी हड़ताल पर चले जाते हैं और अंत में प्रशासन को उनके आगे झुकना पड़ता है।  इसी प्रकार शालिनी श्रीनिवासन द्वारा लिखित द केस ऑफ़ मिसिंग वॉटरपानी की बढ़ती कमी और सूखते तालाब और नदियों के प्रति चिंता व्यक्त करती तथा उनके समाधान की पड़ताल करती कहानी है। लापता पानी का मामला  शीर्षक से इस कहानी का हिंदी अनुवाद पूजा ओमवीर रावत ने किया है। आशीष कोठारी की कहानी वाइल्ड लाइफ इन ए सिटी पॉन्डशहरों में पाए जाने वाले तालाबों की अहमियत तथा उनमें रहने वाले जीवों की कहानी कहती है। शहरी ताल का जादूशीर्षक से इस कहानी का अनुवाद भी मधुबाला जोशी ने किया है। इसी प्रकार रूपा पाई द्वारा  लिखित सिस्टर सीरीज़ की चार किताबें दीदी, दीदी रात को सूरज चाचा कहाँ चले जाते हैं‘, दीदी, दीदी बादल क्यों गरजते हैं, ‘दीदी, दीदी आकाश का रंग नीला क्यों है?‘, दीदी, दीदी, चीज़ें ऊपर क्यों नहीं गिरती हैं है। मूल अंग्रेजी में लिखी इन सभी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद शोभित महाजन ने किया है। कांचन बैनर्जी की कामकाजी चीटियाँहमारे पर्यावरण को साफ़-सुथरा रखने में चीटियों के योगदान के विषय में बताती हैं। राधा रंगराजन की कहानी समंदर किनारे केया का एक दिन केकड़ों की विभिन्न प्रजातियों तथा उनकी जीवनचर्या से हमारा परिचय कराती हैं। मूल अंग्रेजी में लिखी इस कहानी का हिंदी अनुवाद अश्विनी व्यास ने किया है।

Illustration by Sangeetha Kadur

प्रबा राम और शीला प्रुइट द्वारा रचित ज़रा अपनी जीभ बाहर निकालनाविभिन्न जीवों के जीभ के प्रकार से हमारा परिचय कराती है। मूल अंग्रेजी में लिखित इस कहानी का हिंदी अनुवाद मधुबाला जोशी ने किया है। शैला धीर की गोबी का सबसे प्यारा मित्र विभिन्न जानवरों के बीच मैत्री की कहानी को रेखांकित करती है। मूल अंग्रेजी में लिखित इस कहानी का हिंदी अनुवाद दीपा त्रिपाठी ने किया है। हमारे पर्यावरण और जीव-जंतुओं को लेकर जिम्मेदार बनने की सोच इन कहानियों द्वारा हममें उभरती है। इस प्रकार की कहानियों में प्रणव त्रिवेदी द्वारा लिखित और मनीषा चौधरी द्वारा अनूदित ’बर्फ़ का राजा नोनोऔर सेजल मेहता द्वारा लिखित और स्वागता सेन पिल्लई द्वारा अनूदित एक सैर जंगल की प्रमुख कहानियाँ हैं। बर्फ़ का राजा नोनोभारत में विलुप्त प्राय प्राणी हिम तेंदुए के संरक्षण की कहानी कहती है तो एक सैर जंगल कीजंगल तथा जंगली जीवों के संरक्षण में तत्पर संगठनों की बात करती है।  पर्यावरण पर आधारित ये बाल कहानियाँ परिचयात्मक होने के साथ-साथ विभिन्न जीवों और पर्यावरण की गहन जानकारी भी देती हैं। राजी सुंदरकृषण की कहानी इन्कू की गबर-गबर  धनेश पक्षी के जन्म से उनके पालन-पोषण, खान-पान तथा उनके स्वतन्त्र रूप से उड़ान भरने तक की कथा कहती है। इसी प्रकार राधा रंगराजन और अपर्णा कपूर द्वारा लिखित कहानी अरे…नहीं!‘  विभिन्न जीवों द्वारा खतरे का अहसास होने पर, होने वाली प्रतिक्रिया की कहानी कहती है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद वंशिका गोयल ने किया है। ये कहानियाँ न सिर्फ़ विभिन्न जीवों से हमारा परिचय कराती हैं बल्कि उनके विभिन्न गुण भी दिलचस्प ढंग से बताती हैं। इस प्रकार की कहानियों में निसर्ग प्रकाश की ऊदबिलाव बनने के गुणबेहतरीन कहानी है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद सुमन बाजपेयी ने किया है। इसी प्रकार सेजल मेहता की कहानी आध्मादतक मछली और ज्वार ताल आध्मादतक मछली और ज्वार ताल से निकलने की कहानी कहती है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद सदफ़ जाफ़र ने किया है। वृक्षों को बचाने के लिए भारत के प्रसिद्ध आंदोलन चिपको पर आधारित जयंती मनोकरन द्वारा लिखित कहानी चिपको चिपको वृक्ष बचाओबाल दृष्टि से चिपको आंदोलन को समझने के लिए अनोखी किताब है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद ऋषि माथुर ने किया है। इसी प्रकार कार्तिक शंकर द्वारा लिखित टर्टल स्टोरीऑलिव रिडले कछुओं पर अद्भुत किताब है, जो इन कछुओं के जीवन से सम्बंधित है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद भावना पंकज ने किया है।

Illustration by Jayanti Manokaran

दूसरे प्रकार की कहानियों में, काल्पनिक मनोरंजक पर्यावरणीय कहानियाँ आती हैं। डॉ अमरदीप द्वारा अनूदित तारा की गगनचुम्बी यात्रा, तारा के प्रकृति के बीच विभिन्न यात्राओं का वर्णन है। रोहित कुलकर्णी द्वारा लिखित कुम्हार की सूअरी एक कुम्हार के सूअर से प्रेम की कहानी कहती है। इसका हिंदी अनुवाद आरती स्मित ने किया। मेगन डॉबसन सिप्पी द्वारा लिखित फरीदा की दावत जीवों के प्रति स्वच्छंद प्रेम की कहानी कहती है। जहाँ वर्तमान समय में जीवों को पालतू बनाकर, उनकी आज़ादी को कैदकर प्रेम जताने की प्रवृति है, उसके विपरीत यह कहानी एक बच्ची फरीदा द्वारा जीवों को बिना कैद किए उनके खान-पान को व्यवस्थित रखने की बात कहती है। मूल अंग्रेजी में लिखित इस कहानी का हिंदी अनुवाद नागराज राव ने किया है। अशोक राजगोपालन द्वारा रचित शेंडा, गालू और भेर जानवरों के बीच खाल की अदला-बदली पर आधारित एक मनोरंजक कहानी है जो विभिन्न जीवों की प्राकृतिक संरचना का उत्सव मनाती है। मूल अंग्रेजी में लिखित इस कहानी का हिंदी अनुवाद पूजा ओमवीर रावत ने किया है। लेखिका दीपा बलसावर की कहानी आक्क्षू! विभिन्न जानवरों के बीच हाथी की छींक कितनी बड़ी होती होगी, इस प्रश्न पर बहस की दिलचस्प कहानी है। ये कहानियाँ जीव-जंतुओं के पर्यावरण तथा जैविक तंत्र की खूबसूरती से हमारा परिचय कराती हैं।  इसी प्रकार अबोध अरस द्वारा लिखित मेरा शहर, मेरे कुत्तेमुंबई शहर के कुत्तों पर आधारित मज़ेदार कहानी है, जिसे हर कोई अपने आस-पास के कुत्तों से जोड़ सकता है। इस कहानी का हिंदी अनुवाद अश्वनी व्यास ने किया। करणजीत कौर द्वारा लिखित कचरे का बादल पर्यावरण पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण बाल कहानी है। बेहद रचनात्मक ढंग से यह कहानी हमें हमारे पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने की बात कहती है। पूनम श्रीवास्तव कुदेसिया ने इसका खूबसूरत हिंदी अनुवाद किया है। 

 

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