हिंदी दिवस पर हिंदी किताबें
14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने एक मत से हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था। इसी दिन हिंदी के पुरोधा व्यौहार राजेंद्र सिंहा का 50 वां जन्मदिन था जिन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया। इसी कारण 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस हिंदी दिवस के अवसर पर हम आपको मिलवाने जा रहे हैं हमारी कुछ खास हिंदी पुस्तकों से।
धोबन ने धोये राक्षस, जी हाँ धोबन सिर्फ़ कपड़े नहीं धोती ख़ासतौर पर जब वह एक माँ भी हो तो। वह गंदगी को साफ़ करती है। फिर अगर उसने राक्षसों को भी धोकर साफ़ कर दिया तो कैसा अचंभा! और मुस्कुराने वाला वह तोता जो खिलखिल तोता कहलाता है। अनुपम मिश्र दरभंगा के तालाब में तालाबों का जीवंत चित्रण करते हैं। हाथी को बुखार होने पर पुरा जंगल क्या करता है? गंगा अपना सफर कैसे और कहाँ-कहाँ से होते हुए तय करती हैं और दो पेड़ों का दोस्ती का सफर कैसा रहा ये सभी किस्से हमारी किताबों में समाहित हैं।
दीदी का रंग-बिरंगा खज़ाना कई उपहारों और सौगातों से भरपूर है। संगीत की दुनिया में आपको कई करतबी वाद्य यंत्र मिलेंगे। भीमा गधा हमेशा सोता क्यों रहता है? चींटी अपना सारा दिन कैसे बिताती है दाल का दाना यह किस्सा आपको बताती है। चुलबुली चुलबुल को अपनी पूँछ न भायी। पर क्या दूसरों की पूँछ लगाने से बात बनी? इस मज़ेदार किस्से को जानिए ‘चुलबुल की पूँछ’ में। ट्रेन की छुक-छुक-छक और बारिश की टप-टप-टपक हमारी कहानियों का हिस्सा हैं। इनके अलावा विभिन्न प्रकार के सेटों में मौजूद हिन्दी कहानियाँ भी खास महत्त्वपूरर्ण हैं।
बड़ी पुस्तकें, खरी पुस्तकें – नानी चली टहलने और आक्छू हमारी बड़ी पुस्तकें हैं जो आकर्षक चित्रों और बेहतरीन कलेवर में निर्मित हैं।
रोबोट में है रूचि तो आपके लिए ये सूची– शरण्या ने रोबो से बात की, बिट्टू बोट्टू और रिया की सटीक छँटाई। ये पुस्तकें आपको विज्ञान की दुनिया के कुछ और तथ्यों से परिचित करायेंगी।
गैर-कथात्मक कथाएँ– मंगलयान, जब मैं बड़ी ह जाऊँगी और फूलसूंगनी पक्षी खाते ही क्यों रहते हैं? ये कहानियाँ महज़ कहानियाँ नहीं हैं बल्कि विज्ञान में लिपटी कहानियाँ हैं।
बच्चों के साथ संवाद– पीकू की छोटी सी दुनिया, भैया की मुस्कान किसने उड़ाई? चूचू मंतू का टॉफी मर्तबान, केवल मूर्ख जाते हैं स्कूल; ये पुस्तकें अवसाद ग्रस्त बच्चों की दुनिया की किरण हैं। तो पढ़िए इन्हें और भरिए ज़िंदगी में नया सवेरा।
बॉम्बे– सपनों की नगरी मुम्बई शहर के कई अनसुने किस्से जिनसे आप परिचित हो सकते हैं बॉम्बिल और बॉम्बे और प्रिंसेस स्ट्रीट की आर्ट गैलरी से।
रोमांचक कहानियों का सफर– आपको भी खोजी अभियान, रोमांच से भरी कहानियाँ पसंद है क्या? जिस रात चाँद गायब हो गया, चलो चाँद के पास, अम्माची की खोज अनोखी और शूकैट थूकैट; हमारी ऐसी ही कहानियाँ हैं।
जंगल की दुनिया– क्या आपने अभी तक जंगल नहीं देखा? कोई बात नहीं आप जंगल को देख और महसूस कर सकते हैं किताबों के माध्यम से! बनबिलाव! बनबिलाव! द्रूवी की छतरी, अरे…नहीं!, कौन गुज़रा यहाँ से? जंगल का रोमांच ऐसी ही कहानियाँ हैं।
प्रकृति की कहानियाँ– बच्चों का प्रकृति से लगाव स्वाभाविक है। चिपको चिपको वृक्ष बचाओ, बीज बचाओ, जंगल का रोमांच, जादव का जंगल, लाल परी; प्रकृति पर आधारित ये कहानियाँ हमें नई ऊर्जा और सकरात्मक सोच से भर देती हैं।
बेटियों की दुनिया– छोटी लड़कियाँ, बड़ी लड़कियाँ, नटखट लड़कियाँ ढृढ़ लड़कियाँ। पढ़िए लड़कियों की दिलचस्प कहानियाँ मैं अच्छी हूँ, टीने और दूर बसे पर्वत, सतरंगी लड़कियाँ, मिशन साइकिल, फरीदा की दावत, एक किताब पुचकू के लिए में।